tulsi ke fayde in hindi : औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के हैं गजब के फायदे, जानिए किन रोगों के ईलाज में आता है काम

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tulsi ke fayde in hindi : औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के हैं गजब के फायदे, जानिए किन रोगों के ईलाज में आता है काम

tulsi ke fayde in hindi : औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के हैं गजब के फायदे, जानिए किन रोगों के ईलाज में आता है काम

tulsi ke fayde in hindi : हिंदुओं में धार्मिक दृष्टिकोण से तुलसी का बहुत अधिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि हर घर में तुलसी का पौधा होना ही चाहिए। धार्मिक दृश्टिकोण से तुलसी का महत्व तो है ही साथ ही आयुर्वेद में तुलसी को औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। इसमें कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो कि बीमारियों को ठीक करने में बहुत कारगर होते हैं। पहले के लोग तुलसी के औषधीय गुण को समझते थे और मानते भी थे।

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लेकिन अब बहुत ही कम लोग इसके औषधीय महत्व को समझते हैं। तुलसी का किस प्रकार से सेवन करना है यह जानना बहुत ही अनिवार्य है। अगर आपने इसका सेवन गलत तरीके से किया तो इसका नुकसान आपको उठाना पड़ सकता है।

इम्यूनिटी करता है बूस्ट (immunity booster)

tulsi ke fayde in hindi : तुलसी में विटामिन सी और जिंक पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन सी और जिंक नेचुरल तरीके से इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है। तुलसी संक्रमणरोधी भी होता है। तुलसी की सबसे खास बात यह है कि इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल गुण पाया जाता है। जिसके कारण इसका सेवन करने वालों को संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।

सर्दी खासी में फायदेमंद

सर्दी खासी में फायदेमंद (benifit of holi basil in cold cough)

tulsi ke fayde in hindi : तुलसी सर्दी खांसी में रामबाण का काम करता है। तुलसी में पाया जाने वाला कैम्फीन, सिनेओल और यूजेनॉल सीने में ठंड और कफ जमाव को ठीक करता है। अब हम आपको बताते हैं कि सर्दी, खांसी की बीमारी को ठीक करने के लिए आखिर करना क्या चाहिए। इसमें आपको करना क्या है कि तुलसी के पत्तों का रस शहद और अदरक के साथ मिलाकर मरीज को देना चाहिए। ब्रांकाइटिस, दमा, इनफलुएंजा, खांसी को ठीक करने का यह काम करता है।

कैंसर के खतरे को करता है कम (cancer ke khtre ko km krti hai tulsi)

tulsi ke fayde in hindi : बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि तुलसी में कैंसररोधी गुण पाए जाते हैं। तुलसी में मौजूद फाइटोकेमिकल्स में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट लिवर, स्किन, फेफड़ों और मुंह के कैंसर के खतरे को कम करता है।

बालों को देता है मजबूती (balon ke lie upyogi tulsi)

tulsi ke fayde in hindi : तुलसी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट बालों को मजबूती प्रदान करते हैं। जिससे बालों का झड़ना बंद हो जाता है। इसमें पाया जाने वाला एंटी फंगल गुण के कारण बालों ंमें रूसी या फंगस नहीं होता। दाग, धब्बों और मुंहासो को भी यह ठीक करता है।

दांत और मसूढ़ों को देता है मजबूती

tulsi ke fayde in hindi : तुलसी दांत और मसूढ़ों को भी मजबूती प्रदान करता है। मुंह के छालों को भी ठीक करने में इसका उपयोग किया जाता है।

किडनी स्टोन (kidney stone)

tulsi ke fayde in hindi : तुलसी यूरिक एसिड के स्तर को कम करने का काम करता है। यहां यह बताना जरूरी है कि यूरिक एसिड किडनी में स्टोन बनने का अहम कारण है। यूरिक एसिड की कमी होने पर किडनी स्टोन का खतरा कम जाता है अगर किसी को किडनी स्टोन है तो उसके ठीक होने के चांसेज बढ़ जाते हैं। तुलसी बॉडी को डिटॉक्सीफाई करने का काम करता है।

खाने का तरीका (khane ka tarika)

tulsi ke fayde in hindi : अधिकतर लोग तुलसी को चबा कर खाते हैं। जबकि तुलसी को ऐसे नहीं खाना चाहिए। तुलसी में मर्करी और आयरन होता है। जब आप तुलसी को चबाते हैं तो आयरन और मर्करी निकलता है। जिससे आपके दांत खराब हो जाते हैं। तुलसी एसिडिक होती है, अगर आप रोजाना तुलसी को चबा कर खाते हैं तो दांतो के खराब होने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। इसीलिए आपको तुलसी को चबा कर नहीं बल्कि पानी के साथ निगल लेना चाहिए।

तुलसी से नुकसान (side effect of tulsi)

1 ऐसी महिलाएं जो कि गर्भ धारण करना चाहती हैं उन्हें तुलसी नहीं खाना चाहिए। क्योंकि तुलसी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने का काम करती है।
2 तुलसी ब्लड शुगर को नियंत्रित करती है। इसीलिए ऐसे लोग जिन्हें लो ब्लड शुगर की समस्या है उन्हें तुलसी एवॉइड करनी चाहिए।
3 तुलसी का सेवन धीरे-धीरे करे। क्योंकि कई बार कुछ लोग जब पहली बार तुलसी खाते हैं तो उन्हें उलटी या दस्त की समस्या हो सकती है। इसीलिए इसकी शुरूआत कम मात्रा से करें।

Declamer : हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉमेंशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है। इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारीयां विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।
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