Fear of social fobia – लोगों से बात करने में लगता है डर तो आप हैं सोशल फोबिया के शिकार, जानिए कैसे करें इस बीमारी को दूर
Fear of social fobia – आपने फोबिया के बारे में जरूर सुना होगा। फोबिया को ऐसे समझे कि लोगों का अतार्किक डर फोबिया कहलाता है। सामान्य रूप से किसी चीज से डरना गलत नहीं है। लेकिन जब यह डर हमारे दिनचर्या को प्रभावित करने लगे तो यह बीमारी का रूप धारण कर लेता है। यही बीमारी फोबिया कहलाती है। आज हम आपको फोबिया के एक प्रकार सोशल फोबिया या ग्लोसोफोबिया के बारे में बताने जा रहे हैं। सोशल फोबिया के व्यक्ति की समस्या यह होती है कि उसे लोगों से बात करने में डर लगता है। प्रभावित व्यक्ति भीड़-भाड़ वाली जगहां में जाने से कतराता है। कई बार तो उसके पसीने छूट जाते हैं, पैर कांपने लगते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है। कई बार तो सोशल फोबिया से प्रभावित व्यक्ति को चक्कर तक आ जाता है। चिकित्सकों द्वारा इस बीमारी को दूर करने के कई मनोवैज्ञानिक तरीके बताए गए हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको सोशल फोबिया के कारण और उपचार के बारे में बताएंगे।
पुराने अनुभव
Fear of social fobia – कई लोगों में सोशल फोबिया होने का एक कारण उनके पुराने बुरे अनुभव होते हैं। इनके साथ पूर्व में कुछ ऐसा हो चुका होता है कि इनके मन में भीड या लोगों को लेकर एक काल्पनिक डर बैठ चुका होता है। इसी पुराने अनुभवों के कारण सोशल मीडिया से पीड़ित व्यक्ति लोगों से बात करने में ड़रने लगता है।
कुछ तो लोग कहेंगे
Fear of social fobia – सोशल फोबिया से पीड़ित व्यक्ति में एक डर यह भी होता है कि जब वह बात करेगा, तो लोग उसके बारे में क्या कहेंगे। उसके बारे में कोई गलत तो नहीं सोचेगा, कहीं वह कुछ गलत तो नही ंकर रहा । यह डर न सिर्फ बाहर वालों के प्रति होता है बल्कि घर वालों से भी यही डर होता है कि ये लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे।
आत्मविश्वास की कमी (lack of confidence)
fear of social fobia: देखने में आया है कि जिन लोगों में सोशल फोबिया होता है उसमें से अधिकतर लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है। मरीज को खुद पर विश्वास ही नहीं होता। भले ही वह सही काम करे, लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण वह अपने किसी भी काम पर विश्वास नहीं कर पाता। जब भी किसी को वह बात करते हुए देखेगा तो उसे लगेगा कि लोग उसके बारे में ही नकरात्मक बातें कर रहे हैं।
क्या है ईलाज (treatment of social fobia)
1 सोशल फोबिया से प्रभावित मरीज को ऐसा माहौल दे कि उसे लगे कि कोई भी उसे जज नही ंकर रहा। वह अपनी बात खुल कर बोल सके।
2 प्रभावित व्यक्ति को इस बात का बिल्कुल भी इस बात का एहसास न होने दे कि वह सोशल फोबिया से पीड़ित है। इसमें पारिवारिक और फैमिली सपोर्ट काफी मायने रखता है।
3 आइने के सामने बात करें। डर का सबसे बड़ा ईलाज यही है कि उसका सामना किया जाय। इसीलिए अगर व्यक्ति को लगता है कि वह लोगों से मिलने या बात करने में संकोच करता है तो उसे आइने के सामने खड़े होकर अपनी बात करनी चाहिए।
4 मंच के सामने खडे होकर बोलने में जिन्हें डर लगता है उन्हें इसका अभ्यास करना चाहिए। इस दौरान फेसियल एक्सप्रेसन की का भी अभ्यास करना चाहिए।
5 इन प्रयासों के बाद भी अगर व्यक्ति सोशल फोबिया को दूर कर पाने में संभव नहीं हो पा रहा है तो उसे चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। मनोचिकित्सक काग्निटिव बिहेवियर, अन्य थेरेपी या मेडिसिन से इस बीमारी को दूर करते हैं।